देश के 1.2 करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स 8वें वेतन आयोग का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। हर कोई जानना चाहता है कि उनकी सैलरी और पेंशन में बढ़ोतरी कब होगी। सरकार ने जनवरी 2025 में इस आयोग के गठन को मंजूरी दे दी थी, लेकिन अभी तक इसका औपचारिक गठन नहीं हुआ है। खबरों के मुताबिक, जनवरी 2026 से सैलरी बढ़ने की उम्मीद अब कमजोर पड़ रही है। आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
आयोग के गठन में देरी क्यों?
8वें वेतन आयोग को लेकर केंद्र सरकार ने जनवरी 2025 में मंजूरी दी थी, लेकिन अभी तक इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति नहीं हुई है। सूत्रों का कहना है कि आयोग का गठन 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में हो सकता है। पहले के वेतन आयोगों को देखें, जैसे 7वां वेतन आयोग, जिसे बनने में दो साल लगे थे, तो इस बार भी ऐसा ही समय लग सकता है। इसका मतलब है कि सिफारिशें 2027 या 2028 तक आ सकती हैं।
जनवरी 2026 की समयसीमा मुश्किल
कई कर्मचारी उम्मीद कर रहे थे कि 1 जनवरी 2026 से नई सैलरी लागू हो जाएगी। लेकिन, मौजूदा देरी को देखते हुए यह समयसीमा मुश्किल लग रही है। अगर आयोग 2026 में बनता है, तो उसकी रिपोर्ट तैयार करने में 18-24 महीने लग सकते हैं। इसके बाद सरकार को सिफारिशें लागू करने में 6-8 महीने और लगेंगे। यानी, नई सैलरी 2028 तक लागू हो सकती है। हालांकि, सरकार चाहे तो इसे जनवरी 2026 से लागू करके बकाया राशि दे सकती है।
सैलरी और भत्तों में क्या बदलाव?
8वां वेतन आयोग केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी, पेंशन और भत्तों में बदलाव लाएगा। खबरों के अनुसार, बेसिक सैलरी में 3 गुना तक बढ़ोतरी की उम्मीद है। साथ ही, डियरनेस अलाउंस (DA) को बेसिक सैलरी में मिलाने की बात भी चल रही है। अभी DA 55% है, जो हर साल दो बार बढ़ता है। इसके अलावा, हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और ट्रैवल अलाउंस (TA) में भी बदलाव होगा, जो कर्मचारी की पोस्टिंग और काम के आधार पर तय होगा।
विवरण | संभावित बदलाव |
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बेसिक सैलरी | 3 गुना तक बढ़ोतरी की उम्मीद |
डियरनेस अलाउंस (DA) | बेसिक सैलरी में मिल सकता है |
हाउस रेंट अलाउंस (HRA) | शहर और पोस्टिंग के आधार पर बदलाव |
ट्रैवल अलाउंस (TA) | कर्मचारी की भूमिका के आधार पर नई गणना |
कर्मचारियों की उम्मीदें और चुनौतियां
केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स इस आयोग से बहुत उम्मीदें लगाए बैठे हैं। सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर उत्साह दिखा रहे हैं। लेकिन, देरी की वजह से कुछ निराशा भी है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को आर्थिक स्थिति और कर्मचारियों की मांगों में संतुलन बनाना होगा। अगर देरी होती है, तो कर्मचारियों को बकाया राशि मिलने की संभावना बढ़ सकती है, जैसा कि 7वें वेतन आयोग में हुआ था।